ये राम मंदिर है क्या आखिर में

ये राम मंदिर है क्या आखिर में????

क्यों राम जन्मभूमि पर ही राम मंदिर की बात हमेशा हिंदूवादी संगठन करते है? आपको मैं एक नही सैकड़ो राम मंदिर दिखा सकता हूँ इसी देश में। उससे किसी सेक्युलर किसी लिबरल या विदेशी गेंडों को परेशानी नही होगी पर जैसे ही आप राम मंदिर की बात राम जन्मभूमि यानी अयोध्या में बनाने की बात करेंगे सबसे पहले विदेशी चंदे पे पल रहे NGO और उससे चलने वाले सेक्युलर गिरोहों को तकलीफ होती है।

आखिर ऐसा क्यों है कि राम मन्दिर की बात करते ही कुछ गैंडे कहेंगे कि वहाँ वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी बना दो, कुछ गैंडे कहेंगे कि वहाँ स्कूल, कॉलेज अस्पताल बनवा दो ऐसा क्यों? एक सरकारी आंकड़ों के हिसाब से इस देश मे 36 हजार सरकारी अस्पताल है। उन्हीं को वर्ल्ड क्लास बनाओ न एक नया राम जन्मभूमि पे बना के क्या उखाड़ लोगे? एक और सरकारी आंकड़ों के हिसाब से इस देश मे 50 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल है, उन्हीं को वर्ल्ड क्लास बनवाने के लिए सेक्युलर गैंडों को मुहिम शुरू करनी चाहिए। पर नही इन्ही लिस्टो में एक और हॉस्पिटल स्कूल कॉलेज जोड़ना है।

अब राम मंदिर हिंदू समाज को क्यों चाहिए इसका एक विश्लेषण करना जरूरी है। हिन्दू समाज के लिए राम मंदिर क्यों जरूरी है इसके बारे में जान लीजिए। अगर आप राम जन्मभूमि पर बनने वाले राम मंदिर को केवल एक मंदिर समझ रहें हैं तो ये आपके जीवन की एक सबसे बड़ी भूल होगी। राम मंदिर केवल एक मंदिर नही है वो समूचे हिन्दू धर्म का एक स्वाभिमान है, एक सम्मान है, प्रतिष्ठा है, पहचान है, मस्तिष्क है। ये बात विदेशी आकाओं को तो पता है, कट्टर हिंदुओ को पता है पर ये बात हिन्दू सेक्युलरो और लिबरलो को नही पता है। आइए इसको विस्तार से समझता हूँ।

आप सबने बाहुबली फ़िल्म तो जरूर देखी होगी? पहला भाग बाहुबली फ़िल्म का। उसमें एक सीन आप सबकी आँखों के सामने जरूर होगा। कालकेय की राक्षस सेना महिष्मति पर हमला कर देती है और दोनों सेनाओं में भीषण युद्ध होता है तभी एक सीन में अचानक कालकेय को सेना के सेनापति ने महिष्मति के विजयी झंडे को उखाड़ के अपनी सेना का झंडा फहरा देता है। और तभी महिष्मति का एक दरबारी कहता है कि महिष्मति की धरती पे दुश्मन देश का झंडा! ये तो मृत्यु है। तभी सेना में से आवाज़ आती है मृत्यु, मृत्यु, मृत्यु और महा सेना पीछे हटने लगती है। क्या होता है ये सब केवल एक झंडे से कटप्पा जैसा वीर योद्धा भी सहम जाता है। इन सब मे होता क्या है केवल एक झंडा, क्या केवल एक झंडा? युद्ध चल रहा था अभी बाहुबली जैसा प्रतापी योद्धा और भल्लालदेव जैसा बलशाली योद्धा अभी तक जीवित थे कटप्पा जैसा शूरवीर योद्धा अभी जीवित थे और वीरता से लड़ रहे थे और केवल एक झंडा गिरा और महासेना का मनोबल गिर गया। सेना पीछे हटने लगी। राजा को फिर से जोश भरने पड़ा अपनी सेना में और फिर से अपने साम्राज्य का झंडा लहराना पड़ा तब सेना लड़ी।

अब अगर आप केवल उस झंडे को मामूली सा झंडा समझने की कोशिश कर रहे है तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है, वो केवल एक झंडा नही है वो ग़ुरूर था समस्त महिष्मति सम्राज्य का। वो मस्तिष्क था, वो पहचान थी, वो मनोबल था महिष्मति साम्राज्य का। अब यही झंडे को आप राम मंदिर समझ लीजिए और सेना को हिन्दू समाज। मैं फिर दोहरा रहा हूँ वो केवल एक राम मंदिर नही है वो ग़ुरूर है आपका, मष्तिष्क है आपका सम्मान है मंदिर वो। यही झंडे (मंदिर नही बनने देना) को तोड़ने की कोशिश सालों से होती आ रही। आपको क्या लगता है होली पे पानी बचाने की मुहिम, दीपावली पे पटाखे न फोड़ने की मुहिम, गणपति और दुर्गा पूजा पर एको फ्रेंडली मूर्ति बनाने की मुहिम केवल नेचर को बचाने के लिए है? जी नही वो उसी झंडे को गिराने के प्लान का एक हिस्सा है। आप जितना जल्दी इस प्लान को समझ लीजिए उतना आपके लिए सही रहेगा और उतना स्वाभिमान से उतना सीना चौड़ा करके आप विरोधियों के सामने खड़े हो पाएंगे।


मंदिर तो वहीं बनाऐंगे !,🚩🚩जय श्री राम🚩🚩

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