शिवा पंचकरण
धर्मशाला
अपनी कुंठा दर्शाने के लिए एक मंच, कुछ कैमरे, सनातन धर्म पर भद्दी पंक्तियाँ, गालियां और हर बात पर हंसने वाले कुछ लोग. आज सस्ता कॉमेडियन बनने के लिए यही रेसिपी मार्किट में चल रही है. आप इस कॉमेडी से गालियाँ, आपत्तिजनक शब्द निकाल दीजिये तो हास्य कब शोकपूर्ण घटना में तब्दील हो जाएगा, ये पता भी नहीं चलेगा.
हंसने से कई प्रकार के फायदे शरीर को होते है. इसीलिए हँसते रहना जरुरी है. लेकिन क्या हो, आपको हंसाने के नाम पर ऐसे चुटकुले परोस दिए जाएँ, जिन्हें सुन कर आप यह तय नहीं कर पाते हो कि इसे सुन कर हँसना था या रोना. आज कॉमेडी के नाम पर सिर्फ कुछ लोगों द्वारा अपना छिपा एजेंडा चलाया जाता है. एक समय था, जब हास्य कलाकार बनने के लिए मेहनत लगती थी. मुश्किल होता है – जब किसी भी प्रकार की अमर्यादित भाषा का प्रयोग किये बिना सभी को गुदगुदा देना. समय के साथ आज भाषा शैली में भी बदलाव आया है. जो शब्द कभी दो लोगों के मध्य बोलने में भी घबराहट महसूस होती थी, आज उनके बिना तो जैसे कलाकारी पूरी ही नहीं होती.
खैर कोई भी परिवर्तन एकाएक नहीं होता, राम भजन से अली मौला तक पहुंचने में जो समय लगा है. उसी समय इस प्रकार की कॉमेडी ने भी जन्म लिया. ये विष थोड़ा-थोड़ा कर फिल्मों और विज्ञापनों द्वारा पहले हमारे अंदर डाला गया ताकि जब इन प्रयोजित कारनामों को अंजाम दिया जाए तो आम लोगों को अजीब न लगे. इसके विपरीत विशेष धर्म पर टिपण्णी तो दूर कोई उफ़ तक नहीं कर सकता क्योंकि उनके पास पर्याप्त ऐसी घटनाएँ है, जिसमें कलाकार की गर्दन कब हवा में उड़ गयी पता ही नहीं चला. साल 2015 में विवादित यू-ट्यूब चैनल ‘ए.आई.बी’ जिनके द्वारा स्वर्गीय सुषमा स्वराज जी से लेकर स्तन कैंसर तक पर हास्य के नाम पर भद्दी टिप्पणियां की गयी थीं. उनके द्वारा ज्यों ही कैथोलिक चर्च पर थोड़ी सी टिप्पणियां की गईं, उन्हें सोशल मीडिया से लेकर मुंबई तक में जा कर चर्च से माफ़ी मांगनी पड़ी. इस घटना के पश्चात उन्होंने दोबारा कभी चर्च या इससे सम्बंधित किसी भी चीज़ पर कोई टिपण्णी नहीं की. लेकिन इसके विपरीत वह लोग आज तक सनातन संस्कृति का मजाक उड़ा रहे हैं, किन्तु आज तक किसी से भी ना कोई माफ़ी मांगी और ना ही इस प्रकार के कृत्यों को करना छोड़ा.
लेकिन ऐसा क्यों है? स्वभाव से हिन्दू समाज सबसे ज्यादा सहिष्णु होता है. इसीलिए कोई क्या कह रहा है, वह उस पर प्रतिक्रिया नहीं करता. अनादि काल से सनातन में समय अनुसार खुद में कई परिवर्तन लाए गए हैं. सनातन अपने अनुयायियों को प्रश्न करने की पूरी आज़ादी देता है, लेकिन आज इस आजादी का उपयोग कुछ हिन्दुफोब्बिया से ग्रसित लोगों द्वारा अपने एजेंडे पूरा करने के लिए हो रहा है. ये क्रम इसी प्रकार से चल रहा था, लेकिन इस बार समाज के सब्र का बाँध टूट गया और इन सब के खिलाफ आवाज़ उठाई इस्कॉन ने. दरअसल कुछ समय पहले सुरलीन कौर, जिनका नाम शायद बहुत से लोगों ने पहली बार सुना होगा जो खुद को एक कॉमेडियन कहती हैं. उन्होंने इस्कॉन, ऋषि-मुनियों और हिन्दू धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक बातें अपने एक कार्यक्रम में कहीं थी. जिसकी प्रतिक्रिया स्वरुप इस्कॉन ने सुरलीन कौर और शेमारू कंपनी के खिलाफ मुंबई में लिखित शिकायत दर्ज करवाई. इस विवादित वीडियो को लेकर सोशल मीडिया में भी बहुत सारे लोगों का गुस्सा फूटा. लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि फेमस होने के लिए सनातन धर्म का मजाक उड़ाना कलाकारों का पेशा ही बन चुका है.
विरोध, इस हद तक बढ़ गया कि शेमारू को ट्विटर पर इसकॉन से माफ़ी मांगनी पड़ी. जिसको इस्कॉन ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सनातन धर्म का मजाक उड़ाना आजकल फेशन बन चुका है. उसके पश्चात शेमारू ने एक और ट्वीट कर के जानकारी दी कि उन्होंने सुरलीन कौर और शो के होस्ट बलराज स्याल को अपने कार्यक्रम से हटा दिया है और उनसे सभी प्रकार के सम्बन्ध तोड़ दिए हैं. इसके पीछे कंपनी ने वजह यह बताई कि सुरलीन कौर द्ववारा कही गई बातें उनकी कंपनी के विचारों के खिलाफ हैं. लेकिन प्रश्न यह है कि क्या कार्यक्रम को प्रसारित करने से पहले इन सब चीज़ों का ख्याल नहीं रखा गया था? विरोध के बाद शेमारू की जब नींद टूटी तो उन्होंने इसकॉन द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की और 5 करोड़ लोगों को भोजन खिलाने की भी तारीफ की. लेकिन लोगों का गुस्सा इस बात पर ही ठंडा नहीं हुआ, उन्होंने वहां बैठे सभी लोगों पर कार्यवाही करने की मांग की. हलांकि ऐसे कार्यक्रमों में पैसे दे कर लोगों को बुलाया जाता है जो हर बात पर हँसते हैं, जिनका यही काम होता है.
गौर करने बाली बात है की इसकॉन द्वारा दर्ज करवाई गई रिपोर्ट में उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए ये जिक्र किया है कि कैसे किसी देश की सभ्यता को नष्ट किया जा सकता है, इसके लिए उन्होंने तीन तरीके बताए हैं.
(1). परिवार के ढांचे को खत्म कर दीजिये
(2). शिक्षा व्यवस्था को खत्म कर दीजिये
(3). उनके आदर्शों और प्रतीकों को गिरा दीजिये
इससे पहले भी तथाकथित हास्य कलाकार कुनाल कामरा जैसे लोग भी कई बार राष्ट्रवाद और हिन्दुओं के प्रति अपनी घृणा व्यक्त कर चुके हैं. उनके मित्र मासूम रजवाल जब लाइव शो के दौरान भारतीय सभ्यता का मजाक उड़ा रहे थे, उसी समय दर्शकों द्वारा इसका विरोध किया गया. जिसके लिए इन्हें माफ़ी तक मांगनी पड़ी थी. लेकिन फिर भी अपनी आदत से बाज़ नहीं आए. अभी हाल ही में जब लोगों द्वारा टिक-टॉक का विरोध चल रहा था. इसी बीच अजय नागर उर्फ़ कैरीमीनाटी ने वीडियो बना कर टिक-टॉक की तीव्र आलोचना की थी. जिससे यह विषय सोशल मीडिया में आग की तरह फ़ैल गया. चीन समर्थित टिक-टॉक का पक्ष रखते हुए कुनाल ने जब अजय नागर का मजाक उड़ाने का प्रयास किया तो एक बार फिर इस चक्कर में अपनी फजीहत करवा बैठे. हाल ही में प्रधानमन्त्री द्वारा जनता कर्फ्यू के आह्वान पर भी कोरोना वारियर्स के सम्मान में ताली बजाने का मजाक उड़ाते हुए अश्लील इशारे किये थे. इस पर भी डॉक्टर्स द्वारा लताड़ा गया था.
इसी प्रकार हास्य के नाम पर मुनवर फारुकी नाम के शख्स ने भगवान राम और सीता माता पर अभद्र टिप्पणियां की थीं. गोधरा में मारे गए हिन्दुओं का भी मजाक उड़ाया गया था, जिसके पश्चात ट्विटर और तमाम सोशल मीडिया पर #arrestmunawarfaruqui ट्रेंड करने लगा था. एलेग्जेंडर बाबू नाम के एक और हास्य कलकार ने भी हिन्दू देवी देवताओं का इसी प्रकार मजाक उड़ाया था.
संजय राजुरा नाम के व्यक्ति ने ‘ऐसी तैसी डेमोक्रेसी’ नामक कार्यक्रम में हिन्दू देवी देवताओं का मजाक उड़ाया और भगवान गणेश की प्लास्टिक सर्जरी पर अभद्र टिप्पणी की थी. संजय राजुरा यहीं पर ही नहीं रुके, अपितु सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और एनडीटीवी के पत्रकार रबिश कुमार जी के सामने भी उन्होंने यह बातें दोहराई. जिस पर रविश कुमार खुद भी हंस रहे थे. इन सब में सबसे ताज़ा नाम जुड़ा है, हास्य कलाकार अलोकेश सिन्हा का. जिन्होंने हनुमान चालिसा का मजाक उड़ाया था.
ये सभी घटनाएँ सालों पुरानी नहीं, अपितु हाल ही के कुछ महीनों में घटी हैं. जिसका विरोध बढ़ने के तुरंत बाद कलाकारों ने माफ़ी मांग ली. लेकिन सामान्य जन के मन में ये प्रश्न जरुर उठता है कि क्या माफ़ी मांग लेना और फिर इसी प्रकार का कोई कार्यक्रम आयोजित करके, किसी और गुमनाम तथाकथित हास्य कलाकार को मंच दे कर हिन्दू धर्म का अपमान कब तक चलता रहेगा? किसी भी देश की संस्कृति को खत्म करने का सबसे आसान उपाय यही है कि उस देश के युवाओं की नस-नस में उनकी संस्कृति के प्रति हीन भावना पैदा कर दी जाए. एक समाज की सहनशीलता का मजाक उड़ाते हुए कब तक संस्कृति का मजाक बनाना चलता रहेगा? कुछ लोगों का इस सारे विषयों पर कहना है कि,सहने की भी एक सीमा होती है और देश में धीरे धीरे इस प्रकार की मानसिकता और सनातन धर्म के अपमान की प्रवृति बढ़ रही है. एक विशेष गिरोह से सम्बन्ध रखने बाले ये लोग अपनी कड़वाहट में भूल जाते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर एक समाज की भावनाओं से खेलना निंदनीय है.
अलज़जीरा और पूर्व आज़ादी गैंग की सदस्या शेहला रशीद ने इन विशेष विचार वाले तथाकथित हास्य कलकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ करार दे दिया है. इससे यह समझने में ज्यादा मुश्किल नहीं होती है कि इस प्रकार हर दिन नए कॉमेडियन कहाँ से प्रकट हो रहे हैं. लेकिन संविधान बचाने वाली इनकी लड़ाई हमेशा हिंदुस्तान, सेना और हिन्दुओं के अपमान पर ही जाके रूकती है.
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