आत्मनिर्भर भारत – सरकार द्वारा चाइनीज़ उत्पादों के बहिष्कार का शुभ संकेत



कम्युनिस्ट चीन भारत की सीमाओं में घुसपैठ करता रहा है, चाहे अरुणाचल हो, सिक्किम, उत्तराखंड अथवा लद्दाख. ड्रैगन की गिद्ध दृष्टि भारत के हिमालयी राज्यों की सीमा पर स्थित भूभाग पर हमेशा से लगी हुई है, कोई समझौता, कोई बातचीत, कोई सहमति, कोई रेखा चीनियों के लिए बेमानी है. ऊपर से शान्ति और बातचीत पीछे से षड्यंत्र और धोखे से भारतीय सैनिकों पर हमला. दुनिया को कोरोना का अभिशाप देने वाले ड्रैगन की सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक दृष्टि से कमर तोड़ने का स्वर्णिम अवसर है यह.

अराजक, उपद्रवी और साजिशकर्ता चीन एशिया में सबके लिए और खतरा पैदा करेगा. इसलिए इस बार नकेल अवश्य कसी जानी चाहिए. देश के जनमानस में ड्रैगन के प्रति तीव्र आक्रोश है और अपने वीर जवानों के तिरंगे में लिपटे शवों के आने के साथ ही भारत की जनता पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण चीन के उत्पादों का बहिष्कार करने का संकल्प ले रही है. गलवान घाटी में भारत के सपूतों की शहादत व्यर्थ जानी भी नहीं चाहिए. यह शुभ संकेत है कि चीन की सीमा से लगे क्षेत्रों में जहाँ केंद्र सरकार निर्माण कार्यों को और तेज गति से पूरी करने की घोषणा कर चुकी है, वहीं ड्रैगन की धोखेबाजी वाली हरकतों के चलते उससे अनावश्यक आर्थिक व व्यावसायिक सम्बन्ध बनाए रखने के पक्ष में भी नहीं है.

केंद्र सरकार ने दूरसंचार विभाग के अंतर्गत आनी वाली अपनी संचार कंपनियों – भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) को निर्देश दिया है कि 4जी फैसिलिटी के अपग्रेडेशन में किसी भी चाइनीज कंपनी के बनाए उपकरणों का इस्तेमाल न किया जाए, पूरे टेंडर को नए सिरे से जारी किया जाए, सभी प्राइवेट सर्विस ऑपरेटरों को निर्देश दिया जाएगा कि चाइनीज उपकरणों पर निर्भरता तेजी से कम की जाए. मंत्रालय ने सभी संबंधित विभागों को यह निर्देश भी दिया है कि अपने क्रियान्वयन में चीनी कंपनियों की उपयोगिता को कम करे. अगर कोई बिडिंग है तो उस पर नए सिरे से विचार करे. भारत में निर्मित उपकरणों व उत्पादों की खरीद को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता दें ताकि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम आगे बढ़ाया जा सके.

दूरसंचार विभाग सरकार केआदेशानुसार जल्द ही बीएसएनएल और एमटीएनएल 4G टेक्नोलॉजी की स्थापना के लिए जारी निविदाएँ रद्द करेगा और ऐसे नियम बनाएंगे कि चाइनीज़ कम्पनियां इस दौड़ से स्वतः ही बाहर हो जाएंगी. यहाँ यह उल्लेखनीय है कि Huawei और ZTE जैसी चाइनीज़ कंपनियां भारत में 5G नेटवर्क तक को भी हथियाने की आस में थीं, भारत सरकार की यह घोषणा ड्रैगन के लिए बड़ा झटका है.

आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा में हर क्षेत्र में अब स्वदेशी उत्पादों के उपयोग पर जोर दिया जाएगा. सरकार ने अपनी दोनों सरकारी कम्पनियों के साथ ही निजी कंपनियों को भी चीन द्वारा निर्मित उत्पादों के प्रयोग में कमी लाने का आग्रह किया है. दूरसंचार विभाग इस बात के प्रति आश्वस्त है कि देश की निजी क्षेत्र के मोबाइल सर्विस ऑपरेटर्स भी बहुत जल्दी स्वतः चाइनीज़ कंपनियों के उत्पाद पर अपनी निर्भरता कम करेंगे.

वर्तमान में भारतीय दूरसंचार उपकरणों का वार्षिक बाजार अनुमानतः 12,000 करोड़ का है, जिसमें चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी लगभग एक चौथाई है. देश में मोबाइल मेन्युफेक्चरिंग कारोबार वर्ष 2014-15 में 2.9 अरब डॉलर से बढ़कर 2018-19 में 24.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया अर्थात् सात गुना.

आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन देने और मेक इन इंडिया को ज़मीन पर कारगर सिद्ध करने के लिए केंद्र सरकार ने मोबाइल फोन उत्पादन में भारत को दुनिया का शीर्ष देश बनाने के लक्ष्य के साथ 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से तीन नई योजनाओं के श्रीगणेश की घोषणा की है. सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में कहा – मेक इन इंडिया किसी दूसरे देश को पीछे छोड़ने के लिए नहीं, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है. मोबाइल मेन्युफेक्चरिंग के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों एवं उसके कलपुर्जों के उत्पादन को गति देने के उद्देश्य से योजनाएं शुरू की गईं हैं. 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लक्ष्य के साथ ही आठ लाख करोड़ रुपये के मेन्युफेक्चरिंग और 5.8 लाख करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है. 40,995 करोड़ रुपये की प्रोडक्ट लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) योजना का लक्ष्य मोबाइल फोन और इलेक्ट्रानिक कलपुर्जों के उत्पादन को बढ़ाना है.

प्रस्तुति सूर्य प्रकाश सेमवाल

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